माण्डूक्योपनिषद हे देवगण! हम कानों से कल्याणमय वचन सुने। यज्ञ कर्म में समर्थ होकर नेत्रों से शुभ दर्शन करें तथा अपने स्थिर अंग और शरीरों से स्तुति करने वाले हम...
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१ शान्तिपाठ ॐ भद्रं कर्नेभि श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:। स्थिरैरंगैस्तुष्टुवासस्नुभिर्व्यशेम देवहितं यदायु॥ ॐ शान्तिः! शान्तिः! शान्तिः...
अर्थवेद के उपनिषद प्रश्नोपनिषद ……………………………… यह अथर्ववेद की पैप्पलाद शाखा से सम्बद्ध उपनिषद है। यह उपनिषद ६ ऋषि महर्षि पिप्पलाद से अध्यात्म-विषयक प्रश्न पूछते...
कृष्ण यजुर्वेद के उपनिषद तैत्तिरीयोपनिषद ………………………… कृष्ण आयुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा के तैत्तिरीय आरण्यक के सप्तम से नवं प्रपाठक को तैत्तिरीयोपनिषद कहते है।...
यजुर्वेदीयोपनिषद – यजुर्वेद के उपनिषद – यजुर्वेदीय उपनिषद के दो भाग है शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद शुक्ल यजुर्वेद के उपनिषद इशावास्योपनिषद ……………………………...
प्रथम अध्याय इस उपनिषद के प्रथम अध्याय में तीन खण्ड हैं पहले खण्ड में सृष्टि का जन्म, दूसरे खण्ड में मानव-शरीर की उत्पत्ति और तीसरे खण्ड में उपास्य देवों की...
ऋग्वेद के उपनिषद – ऐतरेयोपनिषद …………………………………… ऋग्वेद के ऐतरेय आरण्यक के द्वितीय खंड के अंतर्गत चतुर्थ से षष्ठ अध्याय को ऐतरेय उपनिषद माना जाता है। इसमें 3...
मदकू द्वीप मुण्डकोपनिषद के रचयिता ऋषि माण्डूक्य की तप स्थली रही है। यही पर उन्होंने इसकी रचना करी थी, मुण्डकोपनिषद अथर्ववेद की शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है।...
वामन पुराण’ (Vaman Puran) नाम से तो वैष्णव पुराण लगता है, क्योंकि इसका नामकरण विष्णु के ‘वामन अवतार’ के आधार पर किया गया है, परन्तु वास्तव...
सामवेद की तलवकार शाखा में इस उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही इस उपनिषद में लिये गये हैं। यह उपनिषद पर्याप्त बड़ा...