ब्रह्मा मंत्र – Brahma Mantra & Shloka
ॐ यीम ह्रीं श्रीमकलीम सौह सात चित एकं ब्रह्मा ।।
ॐ ब्रह्मणे नम:।।
ब्रह्मा श्लोक
प्रातः स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्त्वं
सच्चित्सुखं परमहंसगतिं तुरीयम् ।
यत्स्वप्नजागरसुषुप्तिमवैति नित्यं
तद्ब्रह्म निष्कलमहं न च भूतसङ्घः ॥१॥
ब्रह्मा गायत्री मंत्र
ब्रह्म गायत्री मंत्र कुछ इस प्रकार से है:
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥ ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
ब्रह्म गायत्री मंत्र के लाभ
ब्रह्म गायत्री मंत्र की उपासना करने से यश-धन-सम्पत्ति तथा भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तो होती ही है। इसके साथ ही ये मंत्र चारो पुरुषार्थों की प्राप्ति करवाने वाला भी सिद्ध होता है। इस मंत्र के उपासकों को इसका सबसे बड़ा लाभ ये मिलता है कि ये साधनारत मनुष्य को दुनियावी चिंताओं से मुक्त कर मृत्यु पश्चात ब्रह्मलोक गमन का मार्ग प्रशस्थ करता है।